चाम्पा

‼️ साहित्यिक कार्यक्रम ❗ मुंशी प्रेमचंद की 141वीं वर्षगांठ पर अक्षर साहित्य परिषद एवं महादेवी महिला साहित्य समिति का आयोजन ‼️

चाम्पा – 03 अगस्त 2022

प्रेमचन्द के लेखन में मिट्टी की महक , देश-प्रेम की धमक और क्रांति की झनक थी – रामनारायण प्रधान

‼️ साहित्यिक कार्यक्रम ❗ मुंशी प्रेमचंद की 141वीं वर्षगांठ पर अक्षर साहित्य परिषद एवं महादेवी महिला साहित्य समिति का आयोजन ‼️ - Console Corptech

जांजगीर-चांपा जिले में अग्रणी साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था अक्षर साहित्य परिषद एवं महादेवी महिला साहित्य समिति के संयुक्त तत्वावधान में उपन्यास सम्राट व अमर कहानीकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती मनाई गई । दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी आयोजित की गई ।
छत्तीसगढ़ अंचल के मूर्धन्य विद्वान एवं साहित्यकार डांक्टर रमाकांत सोनी ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद जी ने किसानों के दुःख दर्द को गहराई से महसूस किया । उनकी रचनाएं आम आदमी के काफी निकट हैं! प्रेमचंद जी मानवता के प्रमाणिक दस्तावेज थे । महादेवी महिला साहित्य समिति की अध्यक्षा श्रीमती सुशीला देवी सोनी ने कहा कि प्रेमचंद जी की रचनाओं में राष्ट्रीयता के स्वर आज़ भी गूजते हैं ! वे जनता के लेखक थे उनकी रचनाएं राष्ट्र के किसानों और ग्रामीणों को समर्पित थीं । वहीं प्रियदर्शिनी पुरस्कार से सम्मानित लायन कैलाश चन्द्र अग्रवाल ने कहा कि प्रेमचंद भारतीय किसानों के शोषण के खिलाफ कहानी के माध्यम आवाज़ उठाने वाले संकल्पशील लेखक थे ।

अक्षर साहित्य परिषद के अध्यक्ष रामनारायण प्रधान ने कहा प्रेमचंद के लेखन में मिट्टी की महक , देश-प्रेम की धमक और क्रांति की झनक थी । व्याख्याता प्रधान ने बहुत ही सुंदर ढंग से प्रेमचंद के इस वक्तव्य को उदघृत किया । हमारी कसौटी में वही साहित्यकार खरा उतरेगा जिसमें चिंतन उच्च स्तरीय हो और स्वाधीनता का भाव निहीत हो । श्रीमति अल्पना सोनी ने कहा प्रेमचंद साहित्य समरभूमि को तपते सूर्य की तरह प्रकाशित किया । जिसमें दलितों ,ग्रामिणों एवं स्त्रियों का यथार्थ जीवन उजागर हुआ । श्रीमति संगीता पांडेय ने कहा प्रेमचंद ने कृषक जीवन की कठिनाईयों को अपनी कहानियों के माध्यम सच्चाई के धरातल पर उकेरा । श्रीमति नीरा प्रधान ने कहा प्रेमचंद की रचनाएं किसी एक विघा तक ही सीमित नहीं हैं,उनकी चेतना अभिव्यक्ति के विभिन्न माध्यमों से पाठक भीतर तक अपना स्थान बनाती हैं । कार्यक्रम आरंभ मंचस्थ अतिथियों के आसन ग्रहण पश्चात् मुंशी प्रेमचंद के तैल चित्र समक्ष दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना से हुआ ।

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द्वितीय सत्र में काव्य संध्या की शुरुआत राजेश कुमार सोनी के इन पंक्तियों से हुईं जुलाई इक्कीस की तिथि सन अस्सी का साल । आनंदी के घर हुआ प्रेमचंद सा लाल । वही वरिष्ठ महिला साहित्यकार श्रीमति सत्यभामा साव की कविता ऐ क़लम तू साथ चलना , हम सफ़र बनकर । न रुकना न थमना अभी , थक न जाये क़दम जब तक को लोगों ने सराहा । श्रीमति सरोजिनी सोनी की कविता जब तक न मंज़िल पा सकूं तब तक मुझें न विराम हैं । चलना हमारा काम हैं , सुनकर चैरेवैति-चैरेवेति का संदेश दिया । शशिभूषण सोनी ने मुंशी प्रेमचंद अमर साहित्यकार हैं,उनकी जयंती पर हम करते हैं गुणगान । कोरोना काल की वैश्विक घटना को चित्रित करती अन्नपूर्णा देवी सोनी की कविता हरियाली की गीत सुनाऊं कैसे , धरती जब वीरान हुई को लोगों ने पसंद किया । इसके अलावा सुभद्रा सोनी , उमा सोनी ने दी अपनी रचना सुनाई । डॉक्टर रमाकांत सोनी ने आंचल हरा-भरा रहें ऐ देश मातरम् होवे न ये बर्बाद सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही लूटी । समारोह में श्रीमति मीरा मिहिर पत्की , जया लक्ष्मी गोपाल , नरेन्द्र सिंह राठौर , सेवानिवृत्त शिक्षक व्दय जागेश्वर प्रसाद सोनी , जन्मेजय साहू , कमल किशोर सोनी , यज्ञनारायण सोनी, नरेंद्र लाल गुप्ता , के के गुप्ता , जीवनलाल गुप्ता, खेमराज देवांगन , सागर प्रधान , ध्रुव यादव और आदि-आदि की उपस्थिति रही । कार्यक्रम का मंच संचालन अधिवक्ता महावीर प्रसाद सोनी एवं आभार प्रदर्शन शशिभूषण सोनी ने किया ।

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