Covid-19 की बड़ी त्रासदी को झेल रहे है कर्मचारी


जांजगीर-चाम्पा छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारी अपनी लंबित महंगाई भत्ता, वेतन विसंगति,नियमतिकरण, गृह भाड़ा भत्ता जैसे अनेक मांगों को लेकर पूर्ववर्ती सरकार के समय से ही संघर्षरत हैं चुनाव पश्चात हुए सत्ता परिवर्तन से एवं सत्तासीन सरकार के जन घोषणा पत्र में किए गए वादे से सभी अधिकारी कर्मचारी वर्ग खुश और आशान्वित थे कि अब जल्द ही उनकी न्यायोचित मांगे पूरी की जाएगी लेकिन अचानक कोविड-19 महामारी के आने के कारण मांगे पूरी होना तो दूर नियमित वार्षिक वेतन वृद्धि भी कमजोर आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए रोक दिया गया था जिससे अनेकों कर्मचारियों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया था फिर भी समस्त कर्मचारियों ने महामारी जैसे विपदा से लड़ने के लिए दिन रात लगातार निष्ठा से अपनी जिम्मेदारियां निभाई इस बीच कई कर्मचारी इस महामारी का शिकार होकर काल का ग्रास बने स्थिति सामान्य होने पर विभिन्न अवसरों पर शासन को नियमित वार्षिक वेतन वृद्धि बहाल करने हेतु लगातार मांग की गई काफी मान मंनोवल पश्चात वार्षिक वेतन वृद्धि बहाल की गई वर्तमान में बेलगाम हो चुकी महंगाई के मद्देनजर केंद्र शासन द्वारा अपने अधिकारी कर्मचारियों को महंगाई से राहत देने के लिए महंगाई भत्ता नियमित अंतराल में दी जा रही है जिस के अनुसरण में विभिन्न राज्यों के द्वारा भी अपने कर्मचारियों और अधिकारियों को राहत देने हेतु केंद्र सरकार के समान 34% महंगाई राहत भत्ता दी जा रही है लेकिन इसके विपरीत माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य में जहां प्रत्येक संवर्ग खुशहाल है और राज्य आर्थिक रुप से लगातार प्रगति कर रहा है के बावजूद कर्मचारियों एवं अधिकारियों के पिछले 2 वर्षों से महंगाई राहत भत्ता में किसी भी प्रकार की कोई वृद्धि नहीं की जा रही है जिससे राज्य के पूरे अधिकारी एवं कर्मचारी संवर्ग हताश और निराश हो चुके हैं प्रत्येक माह एक अधिकारी से लेकर कर्मचारी को लगभग 40000 से 2000 तक का आर्थिक नुकसान हो रहा है अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर आयोजित कैबिनेट बैठक में समस्त कर्मचारी प्रवर्ग पूर्ण रूप से आश्वस्त थे कि केंद्र के समान महंगाई राहत भत्ता दिए जाने हेतु माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा घोषणा की जाएगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ देर शाम माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा ट्वीट कर जानकारी दी गई कि वर्तमान में दी जा रही महंगाई भत्ता 17% को बढ़ाकर 1 मई से 22% के दर से दी जाएगी जो की न्याय संगत नहीं है क्योंकि छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के कर्मचारियों को जहां केंद्र के समान 34% महंगाई राहत भत्ता दी जा रही है वही अन्य विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ पक्षपात पूर्ण व्यवहार कर केवल 5% की वृद्धि की जाना अन्याय ही कहा जाएगा।

लिपिक कर्मचारी संघ के महिला प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष श्रीमती इलाराय चौधरी ने बताया कि लंबित 17% के जगह 5% वृद्धि किया जाना एक भेदभाव पूर्ण निर्णय है जिसे तत्काल वापस लेकर मांगनुरूप 34% किया जाना चाहिए।

वरिष्ठ जिला सचिव उज्जव तिवारी ने कहा कि दिनों-दिन बढ़ रही मंहगाई से पूरे समाज के साथ-साथ कर्मचारी प्रवर्ग भी पूरी तरह प्रभावित है और आर्थिक तंगी की हालत भी उत्पन्न होने की स्थिति में है छत्तीसगढ़ जैसे प्रगतिरथ और विकासशील जैसे राज्य के कर्मचारियों की माली हालत को ठीक करने के लिए अविलंब लंबित महंगाई भत्ता माननीय मुख्यमंत्री जी को राज्य के माटी पुत्र कर्मचारियों के हित मे 34% दिए जाने हेतु आदेशित किया जाना चाहिए।

लिपिक संघ जांजगीर के कार्यकारी जिलाध्यक्ष श्री विशाल वैभव ने बताया कि 5 प्रतिशत मंहगाई भत्ता बढ़ा कर वर्तमान सरकार ने राज्य के कर्मचारियों के साथ बहुत ही सौतेला व्यवहार किया गया है, जिससे कर्मचारी वर्ग में आक्रोश की स्थिति है, जल्द ही केंद्र के समान 34% महंगाई भत्ता की आदेश जारी नही किया जाता है तो राज्य के समस्त अधिकारी कर्मचारी पुनः अनिश्चितकालीन हड़ताल में जाने को विवश होना पड़ेगा।।।

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