बिलासपुर- श्रीमद्भभागवत कथा का चौथा दिन कृष्ण जन्मोत्सव विशेष-स्वामी श्री चिन्मयानंद बापू जी

बिलासपुर-:- नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की गोविंदा गोविंदा गोपाला मुरली मनोहर नंदलाला
द्वापर युग में युगपुरूष के रूप में असमान्य शक्तियों के साथ श्री कृष्ण ने भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी को रोहणी नक्षत्र में मध्यरात्री में कंश के कारागृह में जन्म लिया। कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है! आज की कथा मे छत्तीसगढ़ राज्य पर्यटन मंडल के अध्यक्ष श्री अटल श्रीवास्तव सांसद अरुण साहू विधायक श्री धरमजीत सिंह ठाकुर जिला पुलिस अधीक्षक श्रीमती पारुल माथुर जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष श्री प्रमोद नायक भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष रामदेव कुमावत प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अभय नारायण राय कांग्रेस नेता त्रिलोक श्रीवास प्रिंस भाटिया एवं परिवार धीरेंद्र बाजपेई श्रीमती स्मिता तिवारी अभिनव अनुराग तिवारी सहित बड़ी संख्या में भक्तजन स्नेही जन उपस्थित थे
भगवान कृष्ण ने जन्म लिया, तो सारा पंडाल जयकारों से गूंज उठा श्रद्धालुओं ने भगवान कृष्ण पर फूल बरसाए। भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। स्वामी श्री चिन्मयानंद महाराज बापूजी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। उन्होंने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं।
सीएमडी महाविद्यालय में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग व उनके जन्म लेने के गूढ़ रहस्यों को कथा बापू ने बेहद संजीदगी के साथ सुनाया। कथा प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए वासुदेव का अर्थ समझाते हुए कहा कि देवकी यानी जो देवताओं की होकर जीवन जीती है और वासुदेव का अर्थ है जिसमें देव तत्व का वास हो। ऐसे व्यक्ति अगर विपरीत परिस्थितियों की बेड़ियों में भी क्यों न जकड़े हो, भगवान को खोजने के लिए उन्हें कहीं जाना नहीं पड़ता है। बल्कि भगवान स्वयं आकर उसकी सारी बेड़ी-हथकड़ी को काटकर उसे संसार सागर से मुक्त करा दिया करते हैं! श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर आज पंडाल को विशेष आकर्षक रूप से सजाया गया था विशेष मशीनों से पुष्प वर्षा की जा रही थी वही बैंड बाजे की धुन पर नंदलाल बने अभिनव तिवारी अपने पुत्र को सिर में रखी झांपी में बैठाल कर जब भक्तों के बीच पहुंचे तो भक्त नाते झूमने लगे गगनभेदी आराधना के साथ हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की गोविंदा गोविंदा गोविंदा गोपाला नंदलाला की जय-जयकार करने लगे!!

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