चाम्पा-नवरात्रि पर्व मां गौरी रानी का भक्ति-भाव से पूजा-अर्चना कर रही हैं महिलाएं
नवरात्र पर्व पर गौरी-शिवशंकर की पूजा-पाठ ।आज सप्तमी तिथि को किया जाएगा माता रानी का विसर्जन
शारदीय नवरात्रि आदिशक्ति मां दुर्गा की उपासना का महापर्व हैं । एक ओर जहां श्रद्धालु भक्त माता रानी के दर्शन करने मंदिरों में जाकर परिवार की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं , वही दूसरी ओर गली-मुहल्लों में निवास करने वाले श्रद्धालु भक्त पूर्णतः भक्ति-भाव से मां गौरी-शंकर की विधि-विधान से पूजा कर रहे हैैं ।
चांपा नगर के स्वर्णकार मुहल्लें में नवरात्रि के पावन अवसर पर ग़ौरी रानी { मां गौरी रानी , गणेशजी और भगवान शिवजी } की प्रतिमा प्रतिस्थापित कर सात दिनों तक विधिवत पूजा-अर्चना कर रहे हैं। सोनार-मुहल्लें के साथ-साथ अन्य मुहल्लों की महिलाएं भी दर्शन-पूजन के लिए बड़ी संख्या पहुंच रही हैं ।
आदिशक्ति मां कात्यायनी अम्बे गौरी क नौ रुपों में छठे स्वरुप के रुप में पूज्य हैं। षष्ठम नवरात्र महोत्सव की पूर्ण बेला में सोनार पारा, चांपा में निवास रत धार्मिक आस्था रखने वाली जिला विपणन अधिकारी जांजगीर-चांपा फिर रायपुर से सेवानिवृत्त जयदेव सोनी की अर्धांगिनी श्रीमति रागिनी सोनी के यहां प्रतिस्थापित शिव-परिवार की मूर्तियों का सुबह से ही पूजा-अर्चना , पतरा चढ़ाना, दोपहर में सामूहिक रूप से वाद्य यंत्रों से समधुर स्वर में भजन-कीर्तन , गाजे-बाजे के साथ पतरा विसर्जन,आरती के पश्चात् प्रसाद वितरण का यह दौर पिछले छह दिनों से लगातार चल रहा हैं । सातवें दिन विराजित गौरी रानी का शिवजी से विवाह रचाकार पूरे शिव-परिवार को नम आंखों से पूजा-अराधना करते हुए विसर्जन किया जाएगा । अधिवक्ता श्रीमति विजय लक्ष्मी सोनी, गोदावरी, पार्षद श्रीमति गीता, पूर्व पार्षद श्रीमती सत्यप्रभा, पूर्णिमा देवी , श्रीमति अन्नपूर्णा देवी , संजना सोनी , श्रीमति शांता गुप्ता , संगीता पाण्डेय, शांति थवाईत , दुर्गेश नंदिनी सोनी और श्रीमति संतोषी सराफ ने बताया कि शिव-गौरी का प्रेममयी दांपत्य यही सिखाता हैं कि हम अपने आपको नहीं बल्कि अपने आसपास रहने वाले को भी स्नेहिल रुप से अपनाएं । हर रुप में देवी-देवताओं को माने और समझें और स्वीकारे। विधिपूर्वक पूजन करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त जुटे ।
हाथो से बनाकर मालपुआ वितरण किया गया ।
धार्मिक आस्था से परिपूर्ण सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व पार्षद श्रीमति शशिप्रभा सोनी ने माता रानी के लिए मनपसंद भोग मालपुआ बनाकर वितरित किया। उन्होंने मालपुआ के लिए अपने रसोईघर में साजो-समान एकत्रित कर सुबह से ही तैयारियां शुरू की और लगन पूर्वक बनाया । उन्होंने बताया कि मालपुआ वास्तव में उत्सव की मिठान्न हैं। शिव-पार्वती अर्थात् शिव-गौरी मैय्या जी को सबसे पहले भोग लगाकर महाप्रसाद के रुप में चखने से इसका स्वाद और भी निखर जाता हैं । आज़ सुबह मालपुआ भोग भगवान जगन्नाथ मठ मंदिर में चढ़ाकर श्रद्धालुओं को विचारित किया हैं । नवरात्रि में सोनार पारा के अनेक स्थानों पर शिव पार्वती की मूर्ति स्थापित कर पूजापाठ की जा रही हैं। महिलाओं के द्धारा सुबह-शाम मां गौरी-शंकर की मूर्ति की प्रतिस्थापित कर आठ दिनों तक पूजन अर्चना मां के प्रति श्रद्धा भक्ति को दर्शाता हैं , सप्तमी तिथि को नगर भ्रमण कराते हुए गाजे बाजे के साथ विसर्जित किया जाएगा । साहित्यकार शशिभूषण सोनी ने बताया कि भगवान शिव-पार्वती सबके प्रिय देवता हैं और हर मनुष्य शिव के प्रिय हैं। भगवति देवी गौरी रानी और भगवान शिवशंकर में अद्भुत सामंजस्य , समन्वय और सद्भाव के दर्शन होते हैं । शिवशंकर और ऋद्धि-सिद्धि के देवता विनायक गणपति के देवता की पूजा सभी गृहस्थ व्यक्ति को करनी चाहिए। कर्ल्याणकारी जगतनंदिनी गौरी रानी और भगवान शिवजी समस्त संसार के माता-पिता हैं । दांपत्य जीवन निर्वहन करने वाले के प्रेरक व्यक्तित्व माने जाते हैं । सर्वजन हिताय रखते हुए भक्तों का हित और दुष्टों का दमन भी करते हैं । हर मनुष्य के हदय में मातृशक्ति का भाव और श्रद्धा होनी चाहिए । मां समलेश्वरी और गौरी रानी के प्रति आस्था और विश्वास रखने से मनोकामनाओं की पूर्ति मां करती हैं ।