चाम्पा

आषाढ़ शुक्ल पक्ष सप्तमी गुप्त नवरात्रि मॉ कालरात्रि के चरणों में समलेश्वरी मंदिर चांपा में श्वेत बलि के रुप में नींबू की माला अर्पित किया गया,,,

चाम्पा – 07 जुलाई 2022

आषाढ़ शुक्ल पक्ष सप्तमी गुप्त नवरात्रि मॉ कालरात्रि के चरणों में समलेश्वरी मंदिर चांपा में श्वेत बलि के रुप में नींबू की माला अर्पित किया गया,,, - Console Corptech

मॉ के सप्तम रुप का नाम हैं मॉ कालरात्रि ।

जगतनंदिनी मॉ कालरात्रि देवी

हे मां करुणा की आगार ।

करूं नित्य तुम्हारी वंदना,

सुखमय हो सबका संसार !!

कालरात्रि महागौरी लोगों की आस्था और श्रद्धा का रुप हैं । मां का यह अति भयावह व उग्र रूप हैं । संपूर्ण सृष्टि में इस रुप से अधिक भयावह और कोई दूसरा नहीं हैं , किन्तु तब भी यह रुप मातृत्व को समर्पित हैं ।


विश्व कर्ल्याण की कामना एवं छत्तीसगढ़ अंचल के लोगों के सुख-समृद्धि की कामना के निहितार्थ आषाढ़ शुक्ल पक्ष सप्तमी अर्थात् गुप्त नवरात्रि के पुण्य अवसर पर मां कालरात्रि के चरणों में एवं भगवती कृपा हेतु समलेश्वरी मंदिर, बरई (बैगा )एवं देवांगन पारा , चांपा में देवी मां के समक्ष देर रात्रि सप्तमी तिथि को श्वेत बलि नींबू की माला अर्पित किया गया ।

मां समलेश्वरी देवी की महिमा अपरम्पार !

जांजगीर-चांपा जिलांतर्गत पुण्य सलिला हसदेव सरिता के पूर्वी भाग में बसे चांपा नगर के मध्य में स्थित ऐश्वर्य एवं सिद्धीदात्री मां समलेश्वरी देवी का मंदिर अंचल के लिए धार्मिक-सांस्कृतिक आस्था का केंद्र बन गया हैं। नवरात्रि पर्व में जब विघुत बल्बों से मंदिर का श्रृंगार किया जाता हैं, तो उसका रुप और मां समलेश्वरी देवी की अद्भुत छटा देखते बनती हैं। संबलपुर जिले से लाई गई काले ग्रेनाईट पत्थर की यह दिव्य मूर्ति के मुखमंडल की आभा अनूठी है, चेहरे पर मातृभाव के साथ गंभीरता पूर्ण रूप भक्तों के कष्टों को हरती जान पड़ती हैं। कहा जाता हैं कि सन् 1862 में स्वर्गीय रामशरण सिंह के पिताश्री नारायण सिंह ने संबलपुर से विजय और ऐश्वर्य की देवी मां समलेश्वरी की मूर्ति मंगाकर इसकी स्थापना एक छोटे से मंदिर में की गई थी । स्थानाभाव के कारण आज भी मातारानी का मंदिर पूर्व की भांति जैसा ही हैं किन्तु सुसज्जित हैं ।

मां समलेश्वरी देवी के दर्शन और पूजन करने से मनोवांछित फल ।

मान्यता हैं कि मां समलेश्वरी देवी के दर्शन करने से सारे दुःख दर्द दूर हो जाते हैं और मनवांछित फल की प्राप्ति होती हैं ।
शशिभूषण सोनी ने बताया कि गुप्त नवरात्रि पर्व में नव-दिनों तक दिनों तक मां समलेश्वरी देवी की पूजा-आराधना हो रही हैं मंदिर के अंदर ज्योति कलश स्थापित करके अतुल कृष्ण द्विवेदी महाराज के द्वारा पूजा अर्चना किया जा रहा हैं । नवमीं को होम, हवन-पूर्णाहुति और कन्या पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया गया हैं ।

समलेश्वरी मंदिर व्यवस्थापन समिति के द्वारा संपूर्ण देखरेख किया जा रहा हैं चांपा जमींदारी के कुंवर भिवेंद्र बहादुर सिंह के संरक्षण में राज पुरोहित आचार्य पंड़ित कृष्णा द्विवेदी महाराज के देखरेख में आज़ होम-हवन और पूर्णाहुति के साथ नवमी तिथि को विधि-विधान से विश्राम होगा । मां समलेश्वरी व्यवस्थापन समिति के कोषाध्यक्ष एवं पूर्व पार्षद विजय सोनी मंगलमय ज्वेलर्स ने बताया कि अंचल के लोगों की ज्ञात-अज्ञात शत्रुओं से रक्षार्थ और घर-परिवार की सुख, समृद्धि , खुशहाली और सुरक्षा के लिए मां समलेश्वरी देवी से प्रार्थना करने आते हैं , देवी माता मन वांछित फल प्रदान करती हैं ।

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