का हो गे बबा…ऐति आ न दई…ए नोनी लान आवेदन ल…
कलेक्टर का छत्तीसगढ़ी में…पढ़े पूरी खबर
जांजगीर-चाम्पा 25 जुलाई 2022
छत्तीसगढ़ी बोली की अपनी एक अलग पहचान है। शब्दों में मिठास होने के साथ अपनापन का भाव लिए यह बोली, बोलने और सुनने वालों के बीच एक अलग ही संबंध विकसित करती है। छत्तीसगढ़ की सरकार छत्तीसगढ़ियों की अस्मिता और स्वाभिमान को संरक्षित करने के साथ यहाँ की गौरवशाली परम्पराओं, तीज-त्यौहारों, संस्कृति को भी पुनर्जीवित कर आगे बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। छत्तीसगढ़ी सरकार की यह झलक जिला प्रशासन में भी स्पष्ट देखी जा सकती है। जिले में सरकार के मंशानुरूप आम नागरिकों की समस्याओं को सुनने जनदर्शन का आयोजन भी किया जा रहा है।
इस दौरान कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा की छत्तीसगढ़ी में संवाद का हो गे बबा…, दई ऐति आ न…, ऐति आ बबा…, जैसे शब्द यहाँ आने वालों को न सिर्फ अपनापन का अहसास करा रहे हैं। उनकी समस्याओं के निराकरण होने की गुंजाइश को बढ़ाने के साथ सरकार के प्रति विश्वास को भी बढ़ाने का काम भी यह छत्तीसगढ़ी संवाद कर रही है।
जांजगीर-चाम्पा जिले में हर सोमवार को कलेक्टर जनदर्शन का आयोजन प्रातः 11 से दोपहर 1 बजे तक कलेक्ट्रेट में किया जाता है। कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा 4 जुलाई से अपनी पदस्थापना के पश्चात 11 जुलाई से हर सोमवार को लगातार जनदर्शन ले रहे हैं।
चूंकि वे छत्तीसगढ़ में पले-बढ़े और पढ़े हैं, ऐसे में वे छत्तीसगढ़ियों और छत्तीसगढ़ी बोली से भलीभांति वाकिफ़ है। जनदर्शन और किसी ग्रामीण क्षेत्र के दौरे में वे किसी भी ग्रामीण और आम नागरिकों से सरल और सहज भाव से छत्तीसगढ़ी में बातचीत करते हैं। कलेक्ट्रेट में जनदर्शन के दौरान अनेक ग्रामीण आते हैं। वे सीधे कलेक्टर से मिलने में हिचकिचाते भी हैं। संकोचवश कई ग्रामीण आवेदन लेकर कलेक्टर को दूर से देखते रहते हैं।
इस दौरान कलेक्टर सिन्हा की नज़र उन पर पड़ती है तो वे स्वयं ही ग्रामीणों को अपने पास आने के लिए बुलाने लगते हैं। छत्तीसगढ़ी में ए बबा ऐति आ न, का हो गे बबा, ऐ दई आ न..का आवेदन हवय, बता न.., ए नोनी लान आवेदन ल.., तोर का हो गे बबा, का समासिया हे…, का हो गे जी.., हो जाही… चिन्ता झन कर, कहा चलत हे केस…। कुछ ऐसे ही शब्दों का प्रयोग कर वे ग्रामीणों के संकोच को पल में दूर करते हुए उनकी समस्याओं को बहुत करीब से जानने की कोशिश करते हैं और उन्हें सही रास्ता बताते हुए समस्याओं का समाधान करने की कोशिश करते हैं। वे आवेदनों को पढ़कर संबंधित अधिकारियों को भी तत्काल फोन लगाकर सूचित करते हैं और आवेदक के आने पर उनकी समस्या का निराकरण करने के निर्देश देते हैं।