जांजगीर चाम्पा

चाम्पा-हसदेव अरण्य बचाओं समिति के तत्वावधान में थाना चौक से लायंस चौक, तक गत दिनों निकाला गया कैंडल मार्च,,,

हसदेव के जंगलों में कटाई शुरू । खदान का विरोध कर रहे 20 से अधिक ग्रामीणों को पुलिस ने किया हैं गिरफ्तार

प्रकृति से हम हैं हमसे प्रकृति नहीं  हसदेव नदी की बदहाली को दूर करने और हसदेव अराण्य जंगल को बचाने के लिए कोसा कांसा कंचन की नगरी चांपा में दलगत राजनीति से परे असंख्य लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। जांजगीर-चांपा जिला ही नहीं बल्कि अनेक जिलों में निवास करने वाले लोगों ने 24 सितंबर 2022 की शाम 7:00 बजें कैंडल मार्च निकालकर सत्तारूढ़ दल के प्रति रोष व्यक्त किया । जल ही जीवन हैं और पवित्र जल की आपूर्ति मनुष्य को नदियों से ही मिलता हैं। इन्हें पर्यावरण और प्रदुषण से बचाना हर किसी की नैतिक जिम्मेदारी हैं।

ग़ौरतलब हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कोयला निकालने के लिए हसदेव अरण्य को लेकर राजस्थान सरकार से गत दिनों सौदा किया हैं , जिसके तहत् राजस्थान सरकार द्वारा हसदेव के उस जंगल के नीचे स्थित दो प्रतिशत कोयले को निकालने पूरे जंगल की कटाई करेंगे। हसदेव अरण्य की कटाई के बाद सरकार को षकोयला प्राप्त होगा लेकिन इस उत्खनन से प्रदेश के प्राकृतिक ढांचा को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। उत्खनन से प्रकृति तो प्रभावित होगी ही जीव-जंतुओं के सामने भी संकट छा जाएगा। मात्र 02 प्रतिशत कोयला निकालने के लिए 27 लाख पेड़-पौधों को काटा जाएगा।कोल ब्लॉक का आवंटन सरकार के विश्वस्त अडानी बंधुओं से कांटेक्ट किया गया हैं। वन के काटने का सबसे अधिक दुष्प्रभाव जांजगीर-चांपा जिला के साथ लाखों वन जीवों और वनस्पतियों पर असर आने वाले समय में दिखाई देगा। जंगलों में बसेरा करने वाले हजारों लोग बेसहारा हो जायेंगे । नगर के उर्जावान नवयुवक विकास तिवारी, पवन यादव, डॉ समीर सोनी ने अपनी आवाज़ मुखर कर लोगों को जागरूक किया जिसके फलस्वरूप लोगों ने समझा और आंदोलन से जुड़ें । गत 140 दिनों से मुहिम चलाने के बाद पिछले दिनों थाना चौक से लायंस चौक तक कैंडल मार्च निकालकर एक हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम कलेक्टर जांजगीर-चांपा को सौंपा गया।इस मुहिम में चांपा नगर के पर्यावरण प्रेमी, शिक्षाविद्, डॉक्टर, इंजीनियर, मेडिकल क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारी,स्कूल और कॉलेजों में अध्ययन रत विद्यार्थियों और चाम्पा के जागरूक नागरिकों ने पूरा सहयोग दिया।


कैमूर की पहाड़ियों से निकलकर कल कल बहती हुई हसदेव नदी चांपा पहुंचती हैं । एक समय ऐसा भी था जब हसदेव नदी में पानी लबालब भरा रहता था लेकिन तेज गति से बढ़ते हुए औद्योगिकीकरण और उद्योगों से निकलने वाले संयंत्रों के अमानक कचरा, गंदगी और बेहिसाब दोहन , नदी किनारे चल रहे अवैध उत्खनन के कारण हसदेव नदी भी प्रदूषित हो गई हैं। आज़ घटते जल स्तर का असर नदी में साफ़ दिखाई पड़ रहा हैं। कई दशकों से चलते विरोध के बावजूद आज़ भी छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य के जंगलों में वन विभाग, प्रशासन और कंपनी के शह पर कटाई जारी हैं। यह कटाई बड़ी तेजी से परसा ईस्ट से बासन खदान के दुसरे फेज के लिए हो रही हैं। यह कटाई हेक्टेयर के घने जंगल में पेड़ काटे जाने हैं। खदान के विस्तार से सरगुजा जिले का घाटबारी गांव पूरी तरह उजड़ जाएगा । मज़े की बात यह हैं कि एक हजार 138 हेक्टेयर का जंगली भूभाग उजाड़ा जाना हैं। ग्रामीणों के मुताबिक पुलिस की शह पर मंगलवार सुबह से ही कटाई शुरू कर दी गई हैं। खदान के विरोध में प्रदर्शन कर रहे 20 से अधिक आदिवासी ग्रामीणों को गिरफ्तार कर लिया गया हैं । यघपि पुलिस ने लोगों को गिरफ्तार करने की बातें स्वीकारी हैं, वह भी स्पष्ट नहीं हैं । हसदेव नदी के संरक्षण और आने वाले समय में प्रदूषण से बचाने लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता हैं । हसदेव अरण्य समिति ने जो आवाज़ उठाई हैं , वह न्याय संगत हैं। हसदेव अरण्य हमारी प्राणदायिनी हैं।वह मानव जाति पर अपनी कृपा बिखेरती आ रही हैं और अनंतकाल तक बिखेरती रहेगी। आज़ भी पुष्प उसके स्वागत में खिलते हैं। विशाल वृक्ष अपनी शाखाओं को उसका जल छूने को झुकते हैं, असहाय पशु-पक्षी जल से ही शक्ति पाते हैं, छोटे-छोटे बच्चें इसके तटों पर क्रीड़ा करते हैं। श्रद्धालु भक्त और असंख्य पुरुष-महिला और बच्चें इसके जल में शुद्धि के लिए डुबकी लगाते हैं और अंत में अंतिम संस्कार के पश्चात राख को इसी जल में प्रवाहित करते हैं।

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शशिभूषण सोनी
पूर्व सहायक प्राध्यापक ( वाणिज्य ) शासकीय महाविद्यालय चांपा

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