चाम्पा

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष लेख वर्तमान कोरोना संक्रमण काल में पर्यावरण की महत्ता अत्यधिक-
रविन्द्र द्विवेदी


चाम्पा- 05 जून 2022🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲


प्राकृतिक पर्यावरण स्वभाव से प्राणियों की सहचरी रहीं है । प्रकृति सौंदर्य र्ईश्वरीय सृष्टि की अलौकिक,अद्भुत, अनंत, असीम, तथा अनुपम कला है। पर्यावरणीय सौंदर्य का वर्णनातीत है। कलकल बहती नदियां,झर झर झरते झरने, फल फूलों से लदे वृक्ष, रंग बिरंगे सुमन, विस्तृत हरियाली, आसमान में उड़ते भांति भांति के पंक्षी, हिमशिखर, घाटियां,किसका मन नहीं मोह लेता। प्रभात बेला में सूर्योदय, पक्षियों का चहचहाना, हरे-भरे घास में ओस की बूंदे, शीतल, मंद, सुगंधित पवन सब कुछ आनंददायी है।
जब से मनुष्य प्रकृति से विमुख हुआ है, प्रकृति के नियमों से अपने को अलग किया है और विज्ञान का दामन थामा है, तभी से वह अपने विनाश की खाई स्वयं खोदने लगा है। मनुष्य अपने अहंकार दंभ तथा अभिमान के कारण स्वयं को विनाश की ओर अग्रसर कर लिया है। प्रकृति से दूर होते जाने के कारण आज जीवन रक्षक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं जरूरी ऑक्सीजन की कमी हो गई है और सांस लेने के लिए शुद्ध वायु का भी अभाव हो गया है।
वर्तमान स्थिति में कोरोना वायरस के कारण पिछले वर्ष से हमारी दुनिया एकदम बदल सी गई है ।असंख्य लोगों की जान चली गई है।लाखों लोग बीमार पड़े हुए हैं। इन सब पर कोरोना वायरस का कहर टूटा है। विश्व भर में सब कुछ बदल सा गया है लोगों का रहन-सहन खानपान,आवागमन एकदम बदल गया है।
कोरोना महामारी ने ना जाने कितने लोगों से हमेशा के लिए हमें जुदा कर दिया है ना जाने कितनों का रोजगार छीन लिया है अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट कर दिया है।
कोरोना वायरस दुनिया के लिए काल बनकर आया है ये सूक्ष्म किंतु खतरनाक वायरस ने असंख्य लोगों को अपना निवाला बना लिया है।

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष लेख वर्तमान कोरोना संक्रमण काल में पर्यावरण की महत्ता अत्यधिक-<br>रविन्द्र द्विवेदी - Console Corptech


कोरोना वायरस का हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
कोरोना वायरस की परिणाम से स्पष्ट होता है कि यह वायरस मनुष्य और प्रकृति के बीच पैदा हुए प्राकृतिक असंतुलन का दुष्परिणाम है आर्थिक विकास की रफ्तार को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का बड़े पैमाने पर अमर्यादित दोहन किया गया है मनुष्य के अत्यधिक आधुनिकता एवं भौतिकवाद के कारण पर्यावरण की दुर्गति हुई है जिसका खामियाजा आज कोरोनावायरस के रूप में भुगतना पड़ रहा है।
वर्तमान परिस्थिति को प्रकृति की ओर से दी हुई चेतावनी समझनी चाहिए जो मनुष्य की जीवन शैली एवं तौर-तरीकों को बदलने का अवसर प्रदान करता है।
जिस तरह मौजूदा हालात में लोगों की जान बचाना प्राथमिकता है वैसे ही लोगों को पर्यावरण के प्रति चिंतित एवं सजग कराया जाना भी जरूरी है।
पर्यावरण का हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।प्रकृति के बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। मनुष्य का शरीर जल, थल, वायु, अग्नि,आकाश, पंचतत्वों से निर्मित है। और जीवन समाप्त होने के पश्चात यह फिर से इन्हीं पंचतत्वों में विलीन हो जाता है।ये पंचतत्व ईश्वरीय स्वरूप में सदैव पूज्यनीय है।
पर्यावरण को एक मिशन की तौर पर लिया जाना चाहिए और इसे आवश्यक सेवा के रूप में राष्ट्र भर में लागू किया जाना चाहिए। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए लोगों को अपनी आदतें बदलनी होंगी जिस प्रकार लोग लॉकडाउन में अपने जीवन शैली में परिवर्तन लाकर पूरे वातावरण को स्वच्छ साफ सुथरा रखने में मददगार साबित हुए हैं।
5 जून को समूचे विश्व में पर्यावरण दिवस मनाया जाना तभी सार्थक होगा जब हम विश्व भर के मानव पुनः प्रकृति से सामंजस्य स्थापित करें एवं उसके संरक्षण के हर संभव प्रयास की ओर गंभीरता से विचार करें। यह प्रयास केवल एक व्यक्ति को ही नहीं बल्कि हम सबको मिलकर करना है ताकि युगों-युगों तक मानव का अस्तित्व बना रह सके। आईये विश्व पर्यावरण दिवस पर आज हम सब संकल्प लेकर पर्यावरण संरक्षण में आगे आए और अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर प्रकृति को हरा-भरा बनाए।

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