बिलासपुर-:- स्वामी पूज्य श्री चिन्मयानंद बापू जी की श्रीमद् भागवत कथा का आज दूसरा दिन
बिलासपुर-:- स्वामी श्री चिन्मयानंद जी महाराज की श्रीमद् भागवत कथा का आज दूसरा दिन नेहरू नगर निवासी स्वर्गीय श्री कृष्ण कुमार तिवारी जी की स्मृति में आयोजित भागवत कथा राजा परीक्षित एवं कलयुग पर प्रकाश डाला कथा के अंत में आरती के प्रमुख जजमान बिलासपुर शहर के लोकप्रिय विधायक श्री शैलेश पांडे श्रीमती रितु पांडे श्री गुरमीत सिंह भाटिया प्रिंस भाटिया धीरेंद्र बाजपेई सोनू चंद्राकर जिला पंचायत अध्यक्ष मुंगेली शैलेश बाजपेई रामा बघेल बिट्टू बाजपेई थे! अभिनव अनुराग तिवारी एवं उनकी माता श्री स्मृति तिवारी उपस्थित थी
व्यासपीठ से राजा परीक्षित की कथा का वर्णन किया एक बार राजा परीक्षित आखेट हेतु वन में गये। वन्य पशुओं के पीछे दौड़ने के कारण वे प्यास से व्याकुल हो गये तथा जलाशय की खोज में इधर उधर घूमते घूमते वे श्रृंगी ऋषि के आश्रम में पहुँच गये। वहाँ पर शमीक ऋषि नेत्र बंद किये हुये तथा शान्तभाव से एकासन पर बैठे हुये ब्रह्मध्यान में लीन थे। राजा परीक्षित ने उनसे जल माँगा किन्तु ध्यानमग्न होने के कारण शमीक ऋषि ने कुछ भी उत्तर नहीं दिया। सिर पर स्वर्ण मुकुट पर निवास करते हुये कलियुग के प्रभाव से राजा परीक्षित को प्रतीत हुआ कि यह ऋषि ध्यानस्थ होने का ढोंग कर के मेरा अपमान कर रहा है। उन्हें ऋषि पर बहुत क्रोध आया। उन्होंने अपने अपमान का बदला लेने के उद्देश्य से पास ही पड़े हुये एक मृत सर्प को अपने धनुष की नोंक से उठा कर ऋषि के गले में डाल दिया और अपने नगर वापस आ गये।
डारि नाग ऋषि कंठ में, नृप ने कीन्हों पाप।
होनहार हो कर हुतो, ऋंगी दीन्हों शाप॥
शमीक ऋषि तो ध्यान में लीन थे उन्हें ज्ञात ही नहीं हो पाया कि उनके साथ राजा ने क्या किया है किन्तु उनके पुत्र ऋंगी ऋषि को जब इस बात का पता चला तो उन्हें राजा परीक्षित पर बहुत क्रोध आया। ऋंगी ऋषि ने सोचा कि यदि यह राजा जीवित रहेगा तो इसी प्रकार ब्राह्मणों का अपमान करता रहेगा। इस प्रकार विचार करके उस ऋषिकुमार ने कमण्डल से अपनी अंजुली में जल ले कर तथा उसे मन्त्रों से अभिमन्त्रित करके राजा परीक्षित को यह श्राप दे दिया कि जा तुझे आज से सातवें दिन तक्षक सर्प डसेगा!!