धार्मिक

चाम्पा के सुप्रसिद्ध स्वर्ण कारीगर सुशांत-मीरा चौधरी ने शरद पूर्णिमा पर किया महालक्ष्मी पूजन,,,

चाम्पा – 10अक्टूबर 2022

हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा के दिन महालक्ष्मी पूजन को महत्वपूर्ण माना जाता हैं । देश के कई राज्यों विशेषकर पश्चिम बंगाल, बिहार और असम में आश्विन मास में पड़ने वाले तिथि पूर्णिमा के दिन देवी महालक्ष्मी जी की विधिविधान से पूजा की जाती हैं । लक्ष्मी पूजा के इस पर्व को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता हैं । हालांकि उत्तर भारत में इसे शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता हैं । पश्चिम बंगाल से आए हुए सुप्रसिद्ध सोने के आभूषण विनिर्माण करने वाले व्यक्ति एवम् कारीगर सुशांत चौधरी ने शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में अपने प्रतिष्ठान ‘ सुशांत चौधरी स्वर्ण पैलेस, लोहार पारा चांपा ‘ में महालक्ष्मी पूजा-अनुष्ठान हर्षोल्लास से किया

चाम्पा के सुप्रसिद्ध स्वर्ण कारीगर सुशांत-मीरा चौधरी ने शरद पूर्णिमा पर किया महालक्ष्मी पूजन,,, - Console Corptech

दो-वर्ष के कोरोना संक्रमण काल को छोड़ दिया जाए तो हर वर्ष भक्ति-भाव से युक्त होकर माता लक्ष्मी देवी की मूर्ति स्थापित करके पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं । इस वर्ष भी दुगुने उत्साह और उमंग के साथ हमारे संस्थान में मां-लक्ष्मी की मूर्ति सखियों के साथ बैठाई गई हैं । बंगाल से विशेष रूप से पधारें अशोक चक्रवर्ती और वाद्य यंत्र वादक मधुसूदन उपाचार्य पंडित पद्मेश शर्मा, पुरुषोत्तम शर्मा जी के मंत्रोच्चारण से सबसे पहले सत्यनारायण भगवान् की पूजा किया किया और उसके बाद विधि-विधान से देवी लक्ष्मी प्रिया और उनकी दोनों सखियों की वैदिक धर्म के अनुसार पूजा अराधना हुई । शरद पूर्णिमा का दिन मां लक्ष्मी का जन्मदिन माना जाता हैं। समुद्र मंथन के दौरान महालक्ष्मी क्षीर सागर से मिली थी । ये माता लक्ष्मी बहुत ही सुन्दर और रुपवती थी इसीलिए इन्हें भगवती महालक्ष्मी कहा जाता हैं । माता लक्ष्मी का जल से अभिषेक करते हुए कलश स्थापित करके पूजा-पाठ करने का सौभाग्य हमें धार्मिक आस्था से परिपूर्ण रखने वाले चांपा के लोगों से मिला ।

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पश्चिम बंगाल से विशेष रूप से पधारें मोहित राम एवं श्रीमति रेखा चौधरी ने बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर आती हैं और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं।दो-दिनों तक विधि-विधान से पूजा-अराधना करके मंगलवार को तपस्वी बाबा स्थली डोगाघाट मंदिर के हसदेव नदी में मूर्ति विसर्जित किया जाएगा ।

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आचार्य पंडित पद्मेश शर्मा ने बताया कि पश्चिम बंगाल बिहार और असम के साथ-साथ आज़कल छत्तीसगढ़ अंचल में भी शरद पूर्णिमा को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता हैं । इस दिन भगवती महालक्ष्मी की पूजा रात्रि जागरण करते हुए किया जाता हैं। लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए बंगाल के रसगुल्ला और खीर का भोग लगाकर महाप्रसाद के रुप में बांटा गया ।

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