चाम्पा

11 अगस्त को ही मनाये रक्षाबंधन = पं द्विवेदी

चाम्पा – 09 अगस्त 2022

रक्षा बंधन को लेकर कोई कहता है 11 को भद्रा है रात तक तो 11 की रात को रक्षा बंधन मनाना चाहिए कोई कहता है 12 कि सुबह 7 बजे तक पूर्णिमा है तो 12 की सुबह रक्षा बंधन मनाना चाहिए क्योंकि 11 अगस्त को सारे दिन भद्रा है लेकिन आप पहले यह जानिए जो भद्रा है वो कहा है और क्या वो नुकसान करेगी


पं अतुल कृष्णा द्विवेदी के अनुसार –


हमारे धर्म ग्रंथो में लिखा है जब भद्रा धरती पर होगी तब वो कष्टकारी होती है
अगर भद्रा पाताल में हो चंद्रमा मेष वर्षभ कन्या तुला विरिश्चिक या धनु मकर राशि मे हो तो अशुभ फल प्रदान करने वाली नही होती है रक्षा बंधन पर भद्रा पाताल लोक में रहेगी भद्रा जिस लोक में होती है उस लोक में ही अपना असर दिखाती है इसलिए इसका प्रभाव पाताल लोक में होगा धरती पर नही यह किसी तरह का नुकसान नही करेगी इसलिए आप 11 अगस्त को शुभ महूर्त में रक्षा बंधम मना सकते है ऐसा ही धर्म ग्रंथो में लिखा है मेरी यही राय है सभी लोगो से हटकर की पाताल की भद्रा से कोई नुकसान नही है आप रक्षा बंधन 11 अगस्त को मना सकते है


अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12.06 से 12।57 तक
अमृत काल- शाम 6.55 से रात 8.20 तक
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04.29 से 5.17 मिनट तक
रात्रि – 8.58 के बाद


यह महूर्त सही है आप इसमें अपना पर्व मना लीजिये
भद्रा का वास पाताल में होगा और चंद्रमा मकर राशि मे होगा मकर राशि मे चंद्रमा होना भद्रा का वास पाताल में है धरती पर नही पाताल लोक में जब भद्रा होती है उसका मुख (मुह)नीचे की तरफ होता है जो नुकसानदायक नही होता है


भद्रा का वास कब और कहां होता है


पौराणिक मुहूर्त में कहा गया है की जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है तब भद्रा का वास पृथ्वी अर्थात मृत्युलोक में होता है। चंद्रमा जब मेष, वृष, मिथुन या वृश्चिक में रहता है तब भद्रा का वास स्वर्गलोक में होता है। कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में चंद्रमा के स्थित होने पर भद्रा का वास पाताल लोक में होता है। कहा जाता है की भद्रा जिस भी लोक में विराजमान होती है वही मूलरूप से प्रभावी रहती है। अतः जब चंद्रमा गोचर में कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होगा तब भद्रा पृथ्वी लोक पर असर करेगी । भद्रा जब पृध्वी लोक पर होगी तब भद्रा की अवधि कष्टकारी होगी।
जब भद्रा स्वर्ग या पाताल लोक में होगी तब वह शुभ फल प्रदान करने में समर्थ होती है। संस्कृत ग्रन्थ पीयूषधारा में कहा गया है —

स्वर्गे भद्रा शुभं कुर्यात पाताले च धनागम।
मृत्युलोक स्थिता भद्रा सर्व कार्य विनाशनी ।।

मुहूर्त मार्तण्ड में भी कहा गया है —“स्थिताभूर्लोख़्या भद्रा सदात्याज्या स्वर्गपातालगा शुभा” अतः यह स्पष्ट है कि मेष, वृष, मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु या मकर राशि के चन्द्रमा में भद्रा पड़ रही है तो वह शुभ फल प्रदान करने वाली होती है।

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जय माँ समलेस्वरी

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