सभी कस्टो का नाश होता है एक लोटे की जलधारा से कलयुग को बनाना है शिव युग-पं अतुल कृष्ण द्विवेदी
भगवान शिव ही आदि और अनंत हैं जो पूरे ब्रह्मांड के कण-कण में विद्यमान हैं। भोलेनाथ अपने भक्तों पर शीघ्र प्रसन्न होकर उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। भगवान शिव एक लोटे जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन शास्त्रों में कुछ ऐसी चीजों का उल्लेख है जिनके प्रय़ोग से भोलेनाथ शीघ्र क्रोधित भी हो जाते हैं। इन चीजों को अन्य देवी-देवताओं की पूजा में प्रयोग किया जाता है। लेकिन भोलेनाथ की पूजा में इनका प्रयोग निषेध है। शिव पूजा में इन चीजों के इस्तेमाल से व्यक्ति पुण्य की जगह पाप का भागी बन जाता है अौर भगवान शंकर के प्रकोप को झेलता है।
घर में दो शिवलिंग की स्थापना नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से घर में दरिद्रता और दुर्भाग्या का वास होता है। जिससे घर के सभी सदस्यों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
भोलेनाथ पर हमेशा पीतल, कांसे या अष्टधातु के बर्तन या लोटे से ही जल अर्पित करना चाहिए, लोहे या स्टील के बर्तन से नहीं।
सभी देवकार्यों में तुलसी का प्रयोग किया जाता है लेकिन भोलेनाथ पर तुलसी अर्पित करना वर्जित है। कुछ लोगों को इस बारे में ज्ञान न होने के कारण वे शिव पूजा में तुलसी का प्रयोग करते हैं। जिसके कारण उनकी पूजा पूर्ण नहीं होती।
शिव पूजा में बिल्व पत्र का विशेष महत्व है। कटे-फटे बिल्व पत्र भगवान शिव को अर्पित न करें। ऐसा करने से पूजा का उल्टा फल मिलता है। जब भी भगवान शिव पर बिल्व पत्र अर्पित करें तो उन्हें देखकर अौर धोकर प्रयोग करें। जिससे भोलेनाथ कि कृपा सदैव बनी रहे।
पूजा के सभी कार्यों में शंख का प्रयोग किया जाता है, लेकिन शिवलिंग पर इससे जल अर्पित नहीं करना चाहिए। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव ने शंखचूर नाम के असुर का वध किया था। इसलिए शंख शिव जी की पूजा में वर्जित है।
कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक है, जबकि भगवान शिव वैरागी हैं, इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ता।
भगवान शिव को हल्दी अर्पित नहीं की जाती क्योंकि हल्दी स्त्री सौंदर्य प्रसाधन में प्रयोग की जाती है और शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है।
भोलेनाथ पर लाल रंग के फूल अर्पित नहीं किए जाते। इसके अतिरिक्त केतकी और केवड़े के फूल अर्पित करना भी वर्जित है। भगवान शिव को सफेद रंग के फूल अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
भगवान शिव को खंड़ित अक्षत नहीं चढ़ाने चाहिए। खंड़ित चावल अपूर्ण और अशुद्ध होते हैं इसलिए यह भोलेनाथ को अर्पित नहीं किए जाते।