बाल विवाह की कुप्रथा को रोकने
समाज के सभी वर्ग के लोगो से अपील- कलेक्टर,

जनप्रतिनिधियों, सामाज सेवकों और स्वयं सेवी संस्थाओं से की अपील,

जॉंजगीर-चांपा,-कलेक्टर श्री जितेन्द्र कुमार शुक्ला ने जिले के सभी जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं स्वयं सेवी संस्थाओं से आग्रह किया है कि वे बाल विवाह जैसी कुप्रथा को उखाड़ फेकने ग्रामीण क्षेत्रों में हर संभव प्रयास करें।
अपने अपील में कलेक्टर ने कहा है कि बाल विवाह एक सामाजिक कुप्रथा है, जिसे कानूनी रूप से भी निषेध किया गया है । इस कुप्रथा के तहत प्रायः रामनवमी ,अक्षय तृतीया जैसी तिथियों पर बड़ी संख्या में बाल विवाह होते हैं। जो प्रदेश और समाज को शर्मसार करती है। बाल विवाह कानूनी अपराध ही नहीं बल्कि सामाजिक अभिशाप भी है। उन्होंने कहा है कि बाल विवाह के गंभीर दुष्परिणाम न केवल बच्चों का बल्कि पूरे परिवार व समाज को भुगतने पड़ते हैं। बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का निर्मम उल्लंघन है। बाल विवाह से बच्चों के पूर्ण और परिपक्व व्यक्ति के रूप में विकसित होने का अधिकार, अच्छा स्वास्थ्य पोषण व शिक्षा पाने और हिंसा व शोषण से बचाव के मूलभूत अधिकारों का हनन होता है। कम उम्र में विवाह से बालिका का शारीरिक विकास रूक जाता है। गंभीर संक्रामक यौन बिमारियों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है और उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है। जल्दी विवाह अर्थात् जल्दी मां बनने के कारण कम उम्र की मां और उसके बच्चे दोनों की जान और सेहत खतरे में पड़ जाती है। कम उम्र की नवजात शिशुओं का वजन कम रह जाता है। साथ ही उनको कुपोषण व खून की कमी की आशंका ज्यादा रहती है। ऐसे प्रसव में शिशु और मातृ मृत्यु दर ज्यादा पायी जाती है। बाल विवाह की वजह से बहुत सारे बच्चे अनपढ़ और अकुशल रह जाते है। जिससे उनके सामने अच्छे रोजगार पाने व बड़े होने पर आत्मनिर्भर होने की ज्यादा संभावना नहीं बचती है। यदि बाल विवाह की सूचना प्राप्त होती है तो तत्काल नजदीकी थाना,जिला प्रशासन को इसकी सूचना दें। कानून का उलंघन करने वाले के विरूद्ध आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की जावेगी । जिसके तहत् बाल विवाह करने वाले वर एवं वधु के माता-पिता सगे संबंधी, बाराती यहॉ तक की विवाह कराने वाले पुरोहित अथवा बाल विवाह को जो बढ़ावा और अनुमति देता है अथवा बाल विवाह में सम्मिलित होता है, को 02 वर्ष तक का कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 01 लाख रूपये तक हो सकता है अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है।
बाल विवाह के संबंध में यह तथ्य भी ध्यान देने योग्य है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार लड़की की शादी 18 वर्ष एवं लड़के की शादी 21 वर्ष से पहले नहीं होना चाहिए ।अतः सामाजिक तौर पर व्याप्त इस बुराई को पूर्णतः बाल विवाह को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। कलेक्टर ने कहा है कि बाल विवाह को रोकने पंचायत, जनप्रतिनिधियों, नगरीय निकाय/पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि, स्वयं सेवी संगठनों एवं आमजनों से सहयोग की आवश्यकता है।

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