किताबों की दुनिया में एक श्रेष्ठ किताब,,बोलते शिलालेख : डॉक्टर रमाकान्त सोनी,,,
बोलते शिलालेख : डॉक्टर रमाकान्त सोनी । समीक्षक : शशिभूषण सोनी
चाम्पा-
हिंदी, छत्तीसगढ़ी भाषा भावानुवाद के निर्भीक, स्पष्टवादी और सशक्त रचनाकार हैं, डॉक्टर रमाकान्त सोनी । बोलते शिलालेख नामक अद्भुत पुस्तक में डाक्टर रमाकांत सोनी जी की शोधपूर्ण 31 सारगर्भित, ज्ञानवर्धक और अच्छी रचना हैं । सच मानिए तो साहित्यकार डॉक्टर रमाकांत सोनी जी ने साहित्यिक यात्रा के क्रम में अपनी दशम् कृति में संग्रहीत आलेख, विभिन्न अवसरों पर साहित्यिक कार्यक्रमों में प्रकाशित लेखों को साहित्यानुरागियों को समर्पित करने का सुंदर प्रयास किया हैं । उनके लेखन की शैली एक सधे हुए श्रेष्ठ लेखक की तरह पाठकों को प्रभावित करती हैं ।
डॉक्टर रमाकान्त सोनी जी की अब तक दस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं यथा चांपा : अतीत से वर्तमान तक [ 2008 ] , स्वर्णाक्षर [ 2008] , अंचरा के छांव [2010 ], मोर कहां गंवा गे गांव [ 2011 ] , गीत से संवाद [ 2012 ] , अक्षर पावन फूल [ 2014 ] , अब किसे भारत कहें[ 2016 ] , दार-भात चूर गे [ 2019 ] , हाना जिंदगी के गाना [ 2020] , बोलते शिलालेख [ 2021] डॉक्टर सोनी जी छत्तीसगढ़ अंचल के जाने-माने साहित्यकार, कवि, लेखक, पत्रकार, वैद्य ही नहीं बल्कि विख्यात मंच उदघोष भी हैं ।
शिक्षा, संस्कृति और मातृभाषा से सुदीर्घ अनुभवों से पगी उनकी लेखनी से निकलने वाली रचनाओं में मनोवैज्ञानिक एवं वैज्ञानिक दृष्टि का समावेश मिलता हैं ।
जिस प्रकार एक सीप के भीतर चमचमाते मोती की आभा छिपी रहती हैं , ठीक उसी तरह डॉ सोनी जी कृतियों में अद्भुत लेखनी के दर्शन मिलता हैं । नई प्रकाशित कृति बोलते शिलालेख पट्टिका के नीचे महान साहित्यकारों, महा-मनीषियों और स्मरणीय कवियों के छाया युक्त चित्रों पर मुख्य पृष्ठ से ही दर्शन प्रारंभ हो जाता हैं । आपने महान साहित्यकारों यथा प्रेमचन्द , महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, गोस्वामी तुलसीदास, रत्नावली, महाकवि सूरदास, संत कबीर, सूफ़ी कवि मलिक मुहम्मद जायसी, विश्व कवि रवींद्रनाथ टैगोर, राष्ट्र कवि मैथलीशरण गुप्त, पंडित मुकुटधर पांडेय, मिर्जा ग़ालिब, हरिवंश राय बच्चन, नीरज सहित बसंत, ग्रीष्म,शरद और राष्ट्रभाषा हिंदी की पीड़ा को अपनी लेखनी के जरिए व्यक्त किया हैं । आज़ की पीढ़ी आजादी के दिवाने कलमकारों, साहित्यकार और नींव के शिलालेख में उल्लेखित महापुरुषों की रचनाएं संकलित करके लेखक ने महान कार्य किया हैं । जितनी भी सराहना की जाएं मैं समझता हूं कम ही है। बोलती शिलालेख के माध्यम से ही सही नींव के पत्थर बनें साहित्यकारों को आत्ममंथन करने को डॉक्टर रमाकान्त जी ने उत्प्रेरित किया हैं।मां सरस्वती से यही प्रार्थना है कि आपकी बहुमुखी प्रतिभा की रश्मियों से हिंदी साहित्य तिमिर हटे और आपकी क़लम निरंतर चलती रहे । अक्षर प्रकाशन के द्वारा प्रकाशित और आवरण पृष्ठ अमृत गुप्ता के द्वारा संयोजित बोलते शिलालेख पुस्तकें पढ़ने की उम्मीद जगाता और अपेक्षाएं बढ़ाता हैं । पुस्तक बोलते शिलालेख अपनी साज-सज्जा , मुद्रण और आवरण के लिहाज से भी सुधी पाठकों के आकर्षित करता हैं । लेखक, प्रकाशक, मुद्रक और अक्षर संयोजक अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई के पात्र हैं ।
पुस्तक : बोलते शिलालेख
लेखक : डॉक्टर रमाकान्त सोनी
प्रकाशक : युगबोध डिजीटल प्रिंट्स, रायपुर
पृष्ठ : 194
समीक्षक : शशिभूषण सोनी, पूर्व सहायक प्राध्यापक वाणिज्य शासकीय महाविद्यालय चांपा