जांजगीर चाम्पा

ऑपरेशन राहुल – 106 घन्टे, 70 फीट गहरे बोरवेल्स, जिंदगी की जंग कैसे जीती राहुल ने, पूरी खबर में A से Z तक का सफर,,पढ़े पूरी खबर,,,,

जांजगीर चाम्पा -15 जून 2022

जांजगीर चाम्पा मालखरौदा ब्लॉक के पिहरीद गांव में 11 साल का मासूम राहुल को 104 घन्टे बाद 70 फीट गहरे बोरवेल्स से सुरक्षित निकाल लिया गया है और राहुल ने जिंदगी की जंग जीत ली है. यह देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन है, जो सफल रहा. 106 घन्टे तक बोर की गहराई में फंसे राहुल का रेस्क्यू सफल रहा है. राहुल को 22 फीट सुरंग बनाकर बाहर निकालने के बाद ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 108 एम्बुलेन्स से बिलासपुर के अपोलो भेजा गया है, जहां डॉक्टरों की टीम राहुल का इलाज कर रही है. रेस्क्यू के बाद जिस एम्बुलेंस में राहुल को ले जाया गया, उसमें वेंटिलेटर सुविधा सहित जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. एके जगत मौजूद थे.

राहुल को टनल से निकालते रेस्क्यू टीम

सुरंग से राहुल को जैसे ही बाहर निकाला गया, लोगों ने भारत माता की जयघोष के साथ पूरा गगन गुंजायमान रहा यहां राहुल की एक झलक पाने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी और लोग काफी उत्साहित रहे. राहुल की सेहत बेहतर होने की खबर ने लोगों के मन को खुशी से भर दिया है. और खुशी का आशु सभी के आँखों मे देखने को मिला

राहुल को एम्बुलेंस तक पहुचाती रेस्क्यू टीम

पिछले 5 दिनों तक रेस्क्यू स्थल तक लोगों की भीड़ जुट रही थी और सभी को यह उम्मीद थी कि राहुल सुरक्षित बाहर जरूर आएगा. रेस्क्यू में कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला, एसपी विजय अग्रवाल समेत NDRF और SDRF के साथ ही 500 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी जुटे रहे. जिस दिन 10 जून को दोपहर 2 बजे राहुल साहू, बोरवेल्स के गहरे गड्ढे में गिरा, उसके बाद शाम 5 बजे से रेस्क्यू शुरू हो गया और राहुल को ऑक्सीजन भी मिलने लगा यहां कुछ देर में कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला और एसपी विजय अग्रवाल भी रेस्क्यू स्थल पहुंच गए थे. इसके बाद 5 दिन 106 घण्टे कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने रेस्क्यू स्थल में बिताये. वे हर वक्त अलर्ट रहे और उन्होंने रेस्क्यू के लिए आगे बढ़कर काम किया है. राहुल के रेस्क्यू पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की हर पल नजर थी, जिसकी वजह से चौतरफा ताकत झोंकी गई और जिला प्रशासन को रेस्क्यू में सफलता मिली है. 106 घन्टे बाद राहुल गहरे बोरवेल्स से बाहर आ चुका है

ऑपरेशन राहुल - 106 घन्टे, 70 फीट गहरे बोरवेल्स, जिंदगी की जंग कैसे जीती राहुल ने, पूरी खबर में A से Z तक का सफर,,पढ़े पूरी खबर,,,, - Console Corptech

कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने कहा है कि राहुल का रेस्क्यू कठिन था, परिस्थिति अनुकूल नहीं थे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया था और संसाधन उपलब्ध कराने में कोई कमी नहीं की. इससे इस रेस्क्यू कार्य को टीम भावना से कम्प्लीट किया गया. कलेक्टर ने कहा कि एक वक्त राहुल के पास सांप भी पहुंचा, जिससे मन में डर आया, लेकिन राहुल के हौसले, आत्मबल और मनोबल ने रेस्क्यू टीम को मजबूती दी, जिससे तेजी से रेस्क्यू कार्य चला. पूरे 5 दिनों में रात-दिन एक पल के लिए रेस्क्यू का कार्य नहीं रुका. राहुल को बाहर निकालने जिला प्रशासन, NDRF और SDRF सेना ने मिलकर 3 प्लान बनाए थे, इसमें प्लान ए था, हुक से राहुल को लिफ्ट करना. इस कोशिश को की गई, लेकिन रस्सी पकड़कर राहुल वापस नहीं आ सका. इस प्रयास को बार-बार किया गया.प्लान बी, जिसके तहत मिट्टी खोदाई कर सुरंग बनाने की थी, यह भी लगातार जारी रहा. जेसीबी समेत अनेक पोकलेन वाहन के साथ करीब 65फीट की मिट्टी खोदाई की गई. इसके बाद सुरंग बनाने का काम चालू हुआ. तीसरा प्लान सी, जिसके तहत रोबोटिक सिस्टम से राहुल को लिफ्ट करना था, इसमें गुजरात से टीम आई और प्रयास किया गया, लेकिन राहुल रोबोटिक सिस्टम के सम्पर्क में नहीं आ रहा था. सिस्टम के गड्ढे में जाते ही राहुल पीछे खिसक जाता था और फिर इस प्रयास से राहुल वापस नहीं आ सका. इस तरह प्लान बी, सुरंग बनाने के कार्य को NDRF, SDRF और सेना की मदद से और तेज किया गया.

लंबी सुरंग बनाने के वक्त दर्जन भर से ज्यादा बार चट्टान आई, जिसे तोड़ने की वजह से रेस्क्यू टीम को कई परेशानी हुई, वहीं राहुल की सुरक्षा की दृष्टि से बड़ी ड्रिल मशीन का उपयोग नहीं हुआ और चट्टानों की वजह से रेस्क्यू में देरी हुई. यहां रेस्क्यू टीम हर कार्य को राहुल की सुरक्षा से जोड़कर कर रही थी. यही वजह रही कि जब कम्पन ज्यादा हुआ तो बड़ी ड्रिल मशीन को बंद करा दी गई. बाद में, छोटी ड्रिल, हाथ ड्रिल समेत हथौड़े से पत्थर को थोड़े गए. छोटी सुरंग में रेस्क्यू को तेजी से करने टीम को कई दिक्कतें हुई.

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सुरंग बनाते हुए रेस्क्यू टीम

रेस्क्यू के वक्त हर समय कुछ न कुछ मुसीबत सामने आ जा रही थी. राहुल जिस गड्ढे में गिरा था, वहां रिसाव से पानी भर जा रहा था. इस समस्या से निपटने पिहरीद और आसपास गांवों के बोरवेल्स लगातार चालू रखे गए, वहीं 2 स्टापडेम को खुलवा दिया गया, ताकि वाटर लेवल ना बढ़े. इस समस्या से लगातार टीम जूझती रही और तस्वीर देखकर डर बना रहता था. लोगों ने भी आगे बढ़कर मदद की और जब भी प्रशासन कहता तो बोरवेल्स चालू हो जाते. एक बार जब राहुल के गले तक वीडियो में पानी नजर आया, उसके बाद तो सबकी सांसे थम गई थी, लेकिन जिला प्रशासने बेहतर कवायद की और जिस गड्ढे में राहुल गिरा था, वहां पानी भरने से बचा लिया गया

राहुल के गले तक पानी का वीडियो


दूसरी ओर, आंधी और बारिश का संकट भी बना हुआ था,जो भगवान भोलेनाथ की कृपा और आप सभी की दुआएं से यह भी टल गया और पिहरीद गांव में तेज हवा चली, लेकिन बारिश नहीं हुई. बारिश होने से रेस्क्यू में परेशानी कई गुना बढ़ जाती.

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140 किमी तक बनाई गई ग्रीन कॉरिडोर


सीएम के निर्देश के बाद राहुल को बेहतर इलाज के लिए बिलासपुर भेजने 140 किमी को ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया. इस कार्य को लीड बिलासपुर आईजी रतनलाल डांगी ने खुद की और रेस्क्यू के बाद बिना एक मिनट के देर किए, एम्बुलेंस से राहुल को अपोलो पहुंचाया गया. इस दौरान राहुल की मां और अन्य रिश्तेदार भी गए हैं. परिजन अब राहुल के साथ हैं. राहुल के रेस्क्यू के बाद परिवार के लोगों में खुशी के आंसू की धारा बही. राहुल के बोरवेल्स में गिरने के बाद परिवार के लोगों की जिंदगी असामान्य हो गई थी, लेकिन राहुल की वापसी के बाद अब एक बार फिर परिवार की खुशियां लौट आई है.

राहुल को एम्बुलेंस से अपोलो अस्पताल ले जाते हुए

मुख्यमंत्री ने लिया हर पल का अपडेट


मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा रेस्क्यू के हर पल का अपडेट लिया जा रहा था. रेस्क्यू के दूसरे दिन वे पत्थलगांव दौरे पर थे, यहां पर राहुल के रेस्क्यू को लेकर जानकारी लेते रहे. कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला से और परिजन से बात की थी. तीसरे दिन भी सीएम ने राहुल की दादी से बात की, वहीं चौथे और पांचवें दिन जब वे दिल्ली में थे, तब भी वे अपडेट लेते रहे और ट्वीट करते रहे. सीएम ने कलेक्टर से कहा था, जो संसाधन चाहिए, कहीं से भी मंगा लो, लेकिन राहुल सुरक्षित रहना चाहिए. इसी के तहत गुजरात से रोबोटिक सिस्टम की टीम को बुलाया गया था. साथ ही, कटक, राजस्थान के भी एक्सपर्ट से भी सलाह ली गई थी और कई अत्याधुनिक मशीन मंगाई गई थी.

राहुल के आत्मबल, मनोबल और हौसले की तारीफ


राहुल का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वह रेस्क्यू टीम के द्वारा अंदर भेजी गई बाल्टी में पानी डालने में मदद कर रहा था. यह तस्वीर बेहद मार्मिक रही और इस तस्वीर को जिसने भी देखा, वह राहुल का मुरीद हो गया. राहुल में आत्मबल और साहस ऐसा, जिसके आगे बड़े-बड़े भी कमजोर पड़ जाएंगे. जिस तरह राहुल ने 106 घण्टे तक अंधेरे गहरे गड्ढे में जिंदगी से लड़ाई की और उस जंग को जीता भी, इसके बाद लोगों ने राहुल की प्रशंसा की. राहुल की यही वह शक्ति रही, जिसकी बदौलत आज वह सुरक्षित है और मौत को मात दे दिया है. अदम्य साहस और हौसले को देखकर लोगों ने राहुल को सलाम किया है और लोगो ने राहुल को देश का रियल हीरो बताया है, जिसने युवा पीढ़ी को सिखाया है कि परिस्थितियां चाहे, जितनी भी विपरीत हों, हार नहीं मानना है

राहुल बाल्टी में पानी भरने में मदद करता हुआ

चंचल मन वाला है राहुल


गांव वाले बताते हैं कि राहुल बेहद चंचल है और ग्रामीण परिवेश में रहन-बसन होने से राहुल को भूख-प्यास का ज्यादा प्रभाव नहीं था. वह हमेशा घर में कुछ न कुछ गतिविधि करते रहता था और हमेशा एक्टिव रहता था. बोरवेल्स में गिरने के बाद इन खूबियों का भी लाभ राहुल को मिला. रेस्क्यू के चौथे दिन राहुल ने सुबह के केवल 2 केला खाया था, उसके बाद रेस्क्यू के वक्त तक कुछ भी नहीं खाया था, करीब 36 घण्टे तक कुछ भी खाने से राहुल सुस्त हो गया था, उसकी हलचल कम हो गई थी. स्पेशल स्पाई कैमरे में चौथे दिन राहुल की एक्टिविटी कम थी, पांचवें दिन यानी रेस्क्यू के दिन राहुल ने एक भी रिस्पॉस नहीं किया. इससे चिंता बढ़ी थी, लेकिन राहत की बात रही कि राहुल सही सलामत है और अब पूरी तरह सुरक्षित है.


मां की ममता लगातार पुकारती रही राहुल को

राहुल की मां गीता साहू अपने जिगर के टुकड़े, अपने लाल को हर पल याद करती थी. जब भी बोरवेल्स के पास आती, राहुल को आवाज देती. बेहद की मार्मिक आवाज मां के द्वारा राहुल को हर दिन कई बार लगाई जाती. ऐसे ही कई वीडियो सामने आए थे, जिसे देखकर हर कोई भावुक हो गया था. मां की ममता की पुकार थी कि मुश्किल हालात से जूझकर राहुल वापस आ गया है और अब वह मां की ममता के छांव में है. राहुल के बोरवेल्स में गिरने के बाद मां का रो-रोकर बुरा हाल था, कई बार राहुल की मां बेहोश हुई. मां को राहुल की चिंता लगातार सता रही थी, लेकिन अब भगवान ने मां की ममता और उसकी पुकार को सुन लिया है, जिसके बाद राहुल ने ऐसी जगह से जिंदगी की जंग जीत ली है, जहां की तस्वीर देखकर हर किसी का मन सिहर जाता है

कुछ साल पहले बिछड़ गया था राहुल


परिवार के साथ कुछ साल पहले राहुल पुरी गया था, जहां वह बिछड़ गया था. यहां भी राहुल की चंचलता ही काम आई थी और वह सकुशल अपने परिवार तक पहुंच गया था. परिजन बतातें हैं कि इस वक्त भी विपरीत हालात बने, लेकिन ईश्वर ने उनका सुना और राहुल वापस मिल गया था. परिवार उस वक्त भी सदमे में था, इस बार के हालात ने परिवार वालों को तोड़ दिया था, लेकिन किस्मत ने राहुल का एक बार फिर साथ दिया है, जिसके बाद राहुल ने देश भर के लोगों के दिलों में जगह बना ली है

राहुल साहू ने नाम को सार्थक कर दिया

राहुल का अर्थ ही होता है सभी कष्टों के विजेता।सभी प्रकार की समस्याओं का डटकर सामना करने वाला (भगवान बुद्ध के पुत्र का नाम था राहुल)

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