सामाजिक सहभागिता । कम ख़र्च में हो गया अनूठा विवाह बिना दहेज, बिना दिखावे और सहभागिता से हो गई शादी-ब्याह,,, देखे खबर
जांजगीर चाम्पा- हिन्दू धर्म के सोलह संस्कारों में सबसे पवित्र संस्कार विवाह को माना जाता हैं । इसमें दो अनजान का ही मेल नहीं होता बल्कि दो-परिवारों का मिलन होता हैं । तमाम रिश्तें-नाते जुड़ते हैं और संबंधों का एक रिश्ता सदा-सर्वदा के लिए बन जाता हैं । इसीलिए तो कहा जाता हैं कि
‘जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं परंतु धरती पर उन्हें हकीकत का स्वरुप दिया जाता हैं ‘
विवाह की सफलता इसीलिए आपसी विश्वास, एक-दुसरे की सहमति, सहभागिता, स्नेह और सम्मान से किया जाता हैं तो कोई भी कार्य एकदम आसान हो जाता हैं । स्वर्णकार समाज के नियमों और परंपराओं का निर्वहन करते हुए जांजगीर-चांपा ज़िले में ज़िला विपणन अधिकारी रहें ( डीएमओ ) समाजसेवी जयदेव सोनी ने अपने जुड़वां बच्चे लव कुमार और कुश कुमार सोनी का विवाह जांजगीर-चांपा जिलांतर्गत चांपा एवं बलौदा की कन्या से विवाह बिना किसी लेन-देन और किसी प्रकार के आंडबर को दरकिनार करते हुए एक ही परिसर में किया । तीनों परिवारों ने मिलकर आपसी सहभागिता सुनिश्चित करते हुए बिना दहेज,बिना दिखावे के कम खर्च में तीन दिन तक एक ही परिसर हरि अमृत पैलेष सीपत रोड मोपका बिलासपुर में किया।
अक्सर देखने में आता हैं कि विवाह के आयोजन को लेकर उपजी अवास्तविक अपेक्षाओं के कारण ही दोनों पक्षों में विवाद की नौबद आ जाती हैं , आपस में मतभेद और अंत में पटापेक्ष हो जाता हैं। इन्ही सब बातों को दृष्टिगत रखते हुए वर-वधू ने आपसी सहमति और सहभागिता का परिचय देते हुए एक ही परिसर में दोनों जोड़ा का विवाह सम्पन्न कराने का फैसला लिया । लव सोनी का विवाह देवेश सोनी की सुपुत्री सुश्री पूजा के साथ और कुश सोनी का विवाह श्रीमति संतोषी देवी सोनी की सुपुत्री सुश्री श्रद्धा के साथ हुआ ।
देखा जाता हैं कि जैसे-जैसे विवाह की तारीख नजदीक आती जाती हैं वर-वधू पक्ष विवाह के आयोजन की तैयारियों में उलझा रहता हैं और विवाह के पूर्व से लेकर पश्चात् तक तनावग्रस्त रहता हैं, इन्ही सब तथ्यों को ध्यान में रखते हुए तीनों परिवारों ने मिलकर सौहार्दपूर्ण वातावरण में एक-दुसरे को सर्वोपरि मानते हुए अनूठे तरीके से विवाह करके स्वर्णकार समाज को एक अच्छा संदेश दिया हैं ।
जयदेव जी के दोनों सुपुत्र चिरंजीव लव और कुश प्रतिभावान हैं। वे विभिन्न कलाओं में पारंगत और निपूर्ण हैं। फ़ैशन शो के क्षेत्र में अग्रणी हैं। बच्चों और युवाओं के लिए डांस रियलिटी शोज का आयोजन कर चुके हैं । उन्होंने अपने पुत्रों का विवाह गृहनगर चांपा में करने का निश्चय किया था कि कन्या पक्ष की समस्या को देखते हुए तीनों परिवारों ने मिलकर तमाम सामाजिक रस्मों और रिवाजों को ध्यान में रखते हुए वर-वधु पक्षों के परिजनों और आमंत्रित लोगों की मौजूदगी में कम खर्च में विवाह करके समाज को एक अच्छा सन्देश दिया हैं ।
प्रगतिशील स्वर्ण एवं रजत समिति के सचिव और साहित्यकार शशिभूषण सोनी ने बताया कि बेटी के बिना घर सूना लगता हैं मेरी बेटी शीला स्वर्णकार के विवाह हो जाने के बाद मेरा घर-आंगन सूना-सूना लग रहा हैं । एक मां की गोदी में जो सकुन एक संतान को मिलता हैं , वही शांति और प्रेम बेटी के सानिध्य में इंसान को नसीब होता हैं । माता-पिता ने अपने कलेजें के टुकड़ों को पाल-पोष करके वर पक्ष को बड़े ही स्नेहपूर्वक सौंपते हैं और बेटी के सुखमय जीवन की परिकल्पना करते हैं । यह जज्बात विवाह के समय शहनाई की स्वर लहरियों में अव्यक्त रुप से सिर्फ एक पिता और बेटी ही समझते हैं । इसीलिए कन्या बिदाई का समय पिता बेटी को नहीं बल्कि उपस्थित सभी को भावविभोर कर देता हैं ।
डीएमओ जयदेव जी ने कहा कि बचपन से ही मेरा समाज सेवा का सपना रहा हैं । समाज के केन्द्रीय टीम से संबद्ध हूं । विवाह दो परिवारों को निकट लाता हैं और दोनों परिवारों में अमिट संबंध तथा मधुरता स्थापित करता हैं। दहेज़ रुपी धन से इस बंधन को कमजोर नहीं बनाना चाहिए। एक-दुसरे की भावनाओं को समझते हुए हमनें अपने ही स्वजातीय बंधुओं से मान-सम्मान के साथ वैवाहिक संबंध जन्म-जन्मांतर के लिए तय किया हैं। ईश्वर ने हमें सब कुछ दिया हैं हम दहेज़ की मांग क्यों करे ? बेटी बनकर दो-बहुएं मेरे घर आ रही हैं । मैं और मेरा परिवार सदैव समधी-समधन परिवार के ऋणी रहेंगे
समाजसेवी मानिक चंद सोनी , केन्द्राध्यक्ष स्वर्णकार समाज संतोष कुमार सोनी , मंडल अध्यक्ष शिवराम सोनी, केन्द्रीय पदाधिकारी श्रीमति मीनाक्षी, गोदावरी देवी , अन्नपूर्णा, पूर्व पार्षद श्रीमति शशिप्रभा सोनी , सुशीला देवी , ज्ञानी सराफ, ज्योति सोनी , हाईकोर्ट बिलासपुर के सीनियर एडवोकेट अशोक स्वर्णकार, शशिभूषण सोनी, सर्वेश कुमार, कवि राजेश कुमार सोनार, डॉक्टर रमाकांत , डॉक्टर शांति, इंजीनियर सत्यनारायण सोनी, नारायण प्रसाद सोनार आदि ने भी एक ही परिसर में आयोजित विवाह स्थल की साज-सज्जा , खानपान, पहनावें और सकुन भरें माहौल में में कम खर्च में अच्छी शादी की प्रशंसा की ।