जानिये किस दिन से शुरू होगी जगन्नाथ रथ यात्रा,,शामिल होने वालों को मिलता है- विशेष पुण्य,,,,
हिंदू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का बहुत अधिक महत्व है। इस रथ यात्रा का आयोजन ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से होता है हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल यह जगन्नाथ रथ यात्रा आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है। इस साल रथ यात्रा का यह उत्सव 1 जुलाई शुक्रवार के दिन मनाया जाने वाला है। इस रथ यात्रा में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। जगन्नाथ पुरी का मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। यहां भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और उनकी छोटी बहन सुभद्रा की पूजा की जाती है। इस दिन काफी ज्यादा संख्या में भक्तगण रथ यात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से आते है।
रथ यात्रा का महत्व
जगन्नाथ यात्रा का हिंदू धर्म में बहुत महत्व माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक रथयात्रा निकालकर भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मंदिर तक पहुंचाया जाता है। जहां भगवान सात दिन तक विश्राम करते है। इसके बाद फिर जगन्नाथ भगवान की वापसी की यात्रा शुरु होती है। पूरे भारत में भगवान जगन्नाथ की यात्रा एक त्यौहार के रुप में मनाई जाती है।
रथयात्रा में भाग लेने वालों को मिलता है विशेष पुण्य
भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा इस रथयात्रा के मुख्य आराध्य है। जो भक्त इस रथ यात्रा में शामिल होकर भगवान के रथ को खींचते है उन्हें 100 यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस रथ यात्रा में शामिल होने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। रथयात्रा में शामिल होने के लिए देशभर से श्रद्धालु यहां पहुंचते है। यहां तक की स्कंदपुराण में वर्णन है कि आषाढ़ माह में पुरी तीर्थ में स्नान करने से सभी तीर्थों में दर्शन करने जीतना पुण्य फल प्राप्त होता है। साथ ही भक्त को शिवलोक की प्राप्ति भी होती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व की उत्पत्ति को लेकर कई सारी पौराणिक और ऐतिहासिक मान्यताएं प्रतलित है। वहीं एक कहानी के अनुसार राजा इंद्रद्युम्न अपने परिवार सहित नीलांचल सागर जो कि वर्तमान में उड़ीसा के नाम से जाना जाता है उसके पास रहते थे।